तुलसीदास जी के दोहे
सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आपु
बिद्यमान रन पाइ रिपु, कायर कथहिं प्रताप।।
अर्थ—
तुलसीदासजी कहते हैं कि शूरवीर तो युद्ध में शूरवीरता का कार्य करते हैं, कहकर अपने को नहीं जनाते जबकि शत्रु को युद्ध में उपस्थित पाकर कायर ही अपने प्रताप की डींग मारा करते हैं।